श्रेणी: Kausitaki (Shankhayana) Brahmana | लेखक : Acharya anand ji | दिनांक : 28 October 2025 21:00
शांखायन शाखा से संबंधित ग्रंथ
शांखायन ब्राह्मण - वैदिक अनुष्ठानों, कर्मकांडों और मानवीय आचारण के नियमों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करता है। यह 30 अध्यायों में विभाजित है।
शांखायन आरण्यक - जो यज्ञों के आध्यात्मिक और दार्शनिक रहस्यों को अनुभूति के आधार पर समझाता है इसमें 15 अध्याय हैं।
कौषीतकी उपनिषद् - यह आत्म-ज्ञान और आंतरिक उपासना को अधिक महत्वपूर्ण मानता है। यह आत्मा की प्रकृति से मुक्ति की यात्रा पर केंद्रित है, और आत्मा को ही सभी इन्द्रियों और कार्यों का सार बताता है। यह उपनिषद् ऋषि कौषीतकी और उनके पुत्र श्वेतकेतु के बीच पुनर्जन्म और ब्रह्म की प्राप्ति पर संवादों के माध्यम से समझाया गया है।
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