ऋग्वेद से संबंधित ग्रंथों का सार

ऋग्वेद से संबंधित ग्रंथों का सार

श्रेणी: Aitareya Brahmana | लेखक : Acharya anand ji | दिनांक : 28 October 2025 20:58

ऋग्वेद से संबंधित ग्रंथों का सार

1. ऐतरेय ब्राह्मण – यज्ञ एवं कर्मकांड की व्याख्या
यह ग्रंथ ऋग्वेद से संबद्ध है और मुख्यतः यज्ञ, कर्मकांड और वैदिक अनुष्ठानों की व्याख्या करता है। इसमें यह बताया गया है कि यज्ञों का क्या महत्व है, उनके पीछे की भावना क्या है, और किस प्रकार वे ब्रह्मांडीय संतुलन को बनाए रखते हैं। ऐतरेय ब्राह्मण में वेदों के मंत्रों को कर्मकांड के रूप में व्यावहारिक जीवन से जोड़ा गया है।


2. ऐतरेय आरण्यक – अरण्य जीवन और ध्यान की परंपराएँ
“आरण्यक” शब्द का अर्थ होता है वन या एकांत। ऐतरेय आरण्यक में उन परंपराओं का वर्णन है, जिन्हें वनवासी, तपस्वी और सन्यासी जीवन में अपनाया जाता था। इसमें ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के मार्ग बताए गए हैं। यह ग्रंथ बाहरी कर्मकांड से आगे बढ़कर आंतरिक साधना और मन के एकाग्रता पर बल देता है।


3. ऐतरेय उपनिषद – दार्शनिक और आध्यात्मिक शिक्षाएँ
ऐतरेय उपनिषद ऋग्वेद की ज्ञान परंपरा का दार्शनिक शिखर है। इसमें आत्मा, ब्रह्म, और सृष्टि के रहस्यों पर विचार किया गया है। यह उपनिषद बताता है कि संपूर्ण सृष्टि उसी एक परमात्मा से उत्पन्न हुई है, और आत्मा ही ब्रह्म है — “प्रज्ञानं ब्रह्म” (चेतना ही ब्रह्म है) इस उपनिषद का मूल सिद्धांत है।